Tuesday, February 1, 2011

एक सबक मिस्र से


मिस्र की सड़कों पर जो हो रहा है वो आप देख रहें हैं या नहीं? मुझे सहानुभूति है हिंदुस्तान टाइम्स जैसे अखबारों के पाठकों से क्योंकि उनके प्रिय अखबार के प्रथम पन्ने तक तख्ता-पलट के कगार तक पहुंचे मिस्र के सूरतेहाल 30 जनवरी तक ही पहुँच पाए. अन्य अखबार एक दिन पहले तक तक जाग गए थे. सडकों पर उतर आई मिस्र के कई शहरों की जनता मांग रही है आज़ादी - एक तानाशाह के शासन से और उसके राज में हुए भ्रष्टाचार से. सड़कों पर जन-सैलाब उभरा हुआ है.तीस सालों से मिस्र पर एक तानाशाह की तरह राज करने वाले होस्नी मुबारक के ख़िलाफ़ आज जनता में इतना आक्रोश है की वो सरेआम मुबारक के पोस्टर फाड़ रही है,उसकी ताकत के हर चिन्ह को आग लगा रही है और उसे गद्दी छोड़ने का हुक्म दे रही है.

इस आन्दोलन का चेहरा बने हुए हैं बढ़ती बेरोज़गारी, महंगाई, पुलिस के अत्याचार और लोकतंत्र के अभाव की मार झेलते मिस्र के युवा. और उनका हथियार है - तकनीक. youtube पर शायद एक विडियो आपको मिल जाए.आक्रोश में डूबे मिस्र के किसी शहर का नज़ारा है.कुछ युवक एक सड़क पर अपना विरोध दर्शा रहे हैं.नारे लगा रहे हैं.रह-रह कर वहां तैनात पुलिस पर पत्थर फेक रहे हैं.एक युवक बाकियों से कुछ आगे खड़ा है. अचानक दृश्य में एक वाहन का प्रवेश होता है.पानी का tanker है.आगे की तरफ मोटी धार फेंकने वाली नली है, जिसके ज़रिये tanker में बैठे पुलिसकर्मी प्रदर्शन करते युवाओं को तोड़ने की कोशिश कर रहे हैं.लेकिन वे सफल नहीं हो पाते.बाकियों से कुछ आगे खड़ा युवक अपनी जगह से टस-से-मस नहीं होता.tanker उसकी तरफ बढ़ता चला जाता है. आगे, और आगे.एक पल को लगता है tanker युवक को रौंदता हुआ निकल जाएगा या तो युवक उसके सामने से कूद जाएगा.पर युवक हटता नहीं. ज़रा डर नहीं दिखाता. tanker उसकी नाक के पास तक पहुच जाता है, तब भी नहीं.

इसके बाद क्या हुआ, ये विडियो नहीं दर्शाता. पर बदलाव के लिए बेचैन जनता के लिए ये ही बहुत है.youtube , facebook और अन्य social मीडिया websites पर ये विडियो कहीं से पहुँच जाता है और फिर एक एक करके सैकड़ों लोग इसे देखते हैं और दिल में जज्बा भर कर सोचते हैं की हम भी तो ऐसा कर सकते हैं!



facebook आग भड़का रहा है!बल्कि आग लगा रहा है!social मीडिया को कुछ बेवक़ूफ़ ज़रुरत से ज्यादा ताक़तवर समझ रहे हैं, ऐसा कहने वाले सभी के मुंह पर एक करारा तमाचा! क्या हम मिस्र से कुछ सीख सकते हैं? अब आप सोचिये.

चारू कार्तिकेय, सहभाग

No comments: